जिसका जनà¥à¤® उसकी मृतà¥à¤¯à¥ और जिसकी मृतà¥à¤¯à¥ उसका जनà¥à¤® होना अटल है
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Manmohan Kumar AryaDate
18-Jan-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
29-Jan-2016Download PDF
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गीता में à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने कहा है कि जिसका जनà¥à¤® होता है उसकी मृतà¥à¤¯à¥ धà¥à¤°à¥à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अटल है और जिसकी मृतà¥à¤¯à¥ होती है उसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® वा जनà¥à¤® होना à¤à¥€ धà¥à¤°à¥à¤µ सतà¥à¤¯ है। हम अपने जीवन में यदाकदा अपने परिचितों व अपरिचितों की मृतà¥à¤¯à¥ का समाचार सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहते हैं। जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से हमारा समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• व समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ होता है उसकी मृतà¥à¤¯à¥ का समाचार सà¥à¤¨à¤•à¤° हमें दà¥à¤ƒà¤– होता है। विगत दो दिन में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ हमारे तीन परिचित बनà¥à¤§à¥à¤“ं की मृतà¥à¤¯à¥ हà¥à¤ˆ है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ हमने जिस विà¤à¤¾à¤— में कारà¥à¤¯ किया वहां के तीन सेवानिवृत वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ विगत लगà¤à¤— 11 दिनों में मृतà¥à¤¯à¥ हà¥à¤ˆ है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में मृतà¥à¤¯à¥ को अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ कहा गया है। यह मृतà¥à¤¯à¥ व इसका समाचार सà¤à¥€ के लिठदà¥à¤ƒà¤–दायी होता है। इस दà¥à¤ƒà¤– में कà¥à¤› रहसà¥à¤¯ छिपा हà¥à¤† हो सकता है। पहला सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ तो यह लगता है कि अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की मृतà¥à¤¯à¥ हमें अपने बारे में सोचने का संकेत करती है। यह बताती है कि à¤à¤• दिन हमें à¤à¥€ मरना है। यह हमें सावधान करती है कि हम सोच विचार कर à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में होने वाली अपनी मृतà¥à¤¯à¥ का निवारण करें। यही मà¥à¤–à¥à¤¯ सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ हमें मृतà¥à¤¯à¥ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है।
कà¥à¤¯à¤¾ मृतà¥à¤¯à¥ का निवारण हो सकता है? इसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि सदा के लिठतो नहीं अपितॠकà¥à¤› समय के लिठमृतà¥à¤¯à¥ को कà¥à¤› पीछे धकेला जा सकता है। यदि हम अपनी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ जिसमें हमारा à¤à¥‹à¤œà¤¨, वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, आसन, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ उपासना समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है, उन पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दें तो निशà¥à¤šà¤¯ ही हम मृतà¥à¤¯à¥ के समय को कà¥à¤› आगे बढ़ा सकते हैं। à¤à¤¸à¤¾ करके व साथ हि मृतà¥à¤¯à¥ के बारे में अधिक से अधिक वैदिक विचारों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानकर तथा ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना से हम सामानà¥à¤¯ लोगों को होने वाले मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ से अà¤à¤¯ ना सही, à¤à¤¯ को कà¥à¤› कम तो कर ही सकते हैं। अतः मृतà¥à¤¯à¥ की उपेकà¥à¤·à¤¾ न करके इसके विषय में यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² होना चाहिये। हमारा विचार है कि यह कठिन कारà¥à¤¯ नहीं है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने इस कारà¥à¤¯ को सरल कर दिया है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने लिठमृतà¥à¤¯à¥ की जिस ओषधि को खोजा था व जिससे वह अà¤à¤¯ बने थे, उसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समाज व देश के सà¤à¥€ लोगों के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठवितरित व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया था।
वह ओषधि जानने से पूरà¥à¤µ यह जानना आवशà¥à¤¯à¤• है कि हम शरीर नहीं अपितॠà¤à¤• चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ ‘जीवातà¥à¤®à¤¾’ हैं। चेतन पदारà¥à¤¥ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤®, यह दो गà¥à¤£ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•à¤ƒ होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¥€ चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ है, अतः उसमें à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अनादि काल से विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ व सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® होने सहित वह सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž à¤à¥€ है। जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व सूकà¥à¤·à¥à¤® सतà¥à¤¤à¤¾ है परनà¥à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ से à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® वा सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® है। हमारी आतà¥à¤®à¤¾ वा जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ होने से अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž है और ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होने सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है। हमें अपनी आतà¥à¤®à¤¾ विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ या तो सीधा ईशà¥à¤µà¤° से समाधि अवसà¥à¤¥à¤¾ में वा वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर हम ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर अपनी बौदà¥à¤§à¤¿à¤• व आतà¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कर सकते हैं। ईशà¥à¤µà¤° की बनाई सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को देखकर व समà¤à¤•à¤° तथा पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को तरà¥à¤• की कसौटी पर कस कर à¤à¥€ कà¥à¤› कà¥à¤› जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है। हमने विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का बहà¥à¤¤ अधिक तो नहीं परनà¥à¤¤à¥ कारà¥à¤¯à¤¸à¤¾à¤§à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया है। अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ पढ़ा है। इससे हमें जीवातà¥à¤®à¤¾ व ईशà¥à¤µà¤° के विषय को जानने व समà¤à¤¨à¥‡ में सहायता मिली है। जीवातà¥à¤®à¤¾ अनादि, अजनà¥à¤®à¤¾, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, चेतन, सूकà¥à¤·à¥à¤® अणॠके समान वा बिनà¥à¤¦à¥‚वत, ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर करà¥à¤® करने में सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° व उसके सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– रूपी फलों को à¤à¥‹à¤—ने में परतनà¥à¤¤à¥à¤° है। अशà¥à¤ व बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® को छोड़कर केवल निषà¥à¤•à¤¾à¤® शà¥à¤à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके जिसमें ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ सहित अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, सदà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, माता-पिता-आचारà¥à¤¯-विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚-संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ आदि अतिथियों की सेवा-सतà¥à¤•à¤¾à¤° सहित परोपकार वा दान आदि कारà¥à¤¯ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं, मनà¥à¤·à¥à¤¯ करà¥à¤®-फल के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है। मोकà¥à¤· दà¥à¤ƒà¤–ों की पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ वा सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ निवृतà¥à¤¤à¤¿, जनà¥à¤® व मरण से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व ईशà¥à¤µà¤° के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में आननà¥à¤¦ को à¤à¥‹à¤—ने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को कहते हैं। मोकà¥à¤· में मà¥à¤•à¥à¤¤ जीवातà¥à¤®à¤¾ सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° आननà¥à¤¦ से परिपूरà¥à¤£ ईशà¥à¤µà¤° में विचरती है और ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦ का à¤à¥‹à¤— करती हैं। यह à¤à¤¸à¤¾ ही है कि किसी योगà¥à¤¯à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को उसकी इचà¥à¤›à¤¾ की सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ सà¥à¤²à¤ कराना। इन बातों को जान लेने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ का मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ कम वा समापà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हो जाता है। मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ की ओषधि सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही है जो महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था और उससे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की थी। यह समसà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सहित अपने सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है जो सà¤à¥€ के जानने योगà¥à¤¯ है।
ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने लिखा है कि ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना से जीवातà¥à¤®à¤¾ के अविदà¥à¤¯à¤¾-पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ काम, कà¥à¤°à¥‹à¤§, लोà¤, मोह आदि मल छंटते वा नषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ होते हैं और जीवातà¥à¤®à¤¾ के गà¥à¤£ ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के अनà¥à¤°à¥‚प होते जाते हैं। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अगà¥à¤¨à¤¿ की संगति होने पर शीत का निवारण होता है और जैसे ताप से आतà¥à¤° पà¥à¤°à¥‚ष का ताप जल में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर दूर होता है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के बà¥à¤°à¥‡ गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ छूट कर ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प होते जाते हैं। इतना ही नहीं अपितॠजीवातà¥à¤®à¤¾ का बल इतना बढ़ता है कि पहाड़ के समान मृतà¥à¤¯à¥ आदि à¤à¤¯à¤‚कर दà¥à¤ƒà¤–ों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ घबराता नहीं है। कà¥à¤¯à¤¾ यह छोटी बात है? अतः मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होने वा उस पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ सहित वैदिक विधि से ही ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व यजà¥à¤ž आदि कारà¥à¤¯ करने चाहिये जिनसे इचà¥à¤›à¤¿à¤¤ परिणाम पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकते हैं।
जब हम संसार की आदि से अब तक जनà¥à¤® लेने व मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर विचार करते हैं तो हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि से अब तक खरबों लोग उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ व मरे, यहां तक की शà¥à¤°à¥€ राम व शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी व अरà¥à¤œà¥à¤¨ के समान महावीर व योदà¥à¤§à¤¾ तथा कोटिशः ऋषि व मà¥à¤¨à¤¿ हà¥à¤ परनà¥à¤¤à¥ कोई à¤à¥€ अपने आप को मृतà¥à¤¯à¥ के पाशों से मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं रख सका, तो यह विदित व सिदà¥à¤§ हो जाता है कि हम सà¤à¥€ को कà¥à¤› समय बाद संसार से निशà¥à¤šà¤¯ ही जाना है। मृतà¥à¤¯à¥ होनी है, यह तो जनà¥à¤® के समय ही निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हो जाता है, बस वरà¥à¤·, महीने व दिन की जानकारी हमारे पास नहीं होती। यह आज, अगले कà¥à¤·à¤£ व कालानà¥à¤¤à¤° में कà¤à¥€ à¤à¥€ हो सकती है। काल का निशà¥à¤šà¤¯ न होने के कारण ही शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने कहा है कि हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में जो काम करने हैं उसे शीघà¥à¤°à¤¤à¤® कर लेना चाहिये। हमारे इन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का कोई à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ नहीं की कब यह साथ छोड़ दें। अनेक कामों में मà¥à¤–à¥à¤¯ काम ईशà¥à¤µà¤°, आतà¥à¤®à¤¾ व संसार को जानना, अपनी आतà¥à¤®à¤¾ के मलों को दूर करना व शà¥à¤ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से आतà¥à¤®à¤¾ को उनà¥à¤¨à¤¤ करना है। जितनी जलà¥à¤¦à¥€ यह काम पूरा होगा उतना ही शीघà¥à¤° इससे हमारे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के जीवन में दà¥à¤ƒà¤–ों की निवृति व सà¥à¤– लाठहोगा। अतः लकà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में लग जाना ही उचित है।
लेख को अधिक विसà¥à¤¤à¤¾à¤° न देते हà¥à¤ गीता के दूसरे अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के 22, 23 तथा 27 वें शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं जिसमें आतà¥à¤®à¤¾ व मृतà¥à¤¯à¥ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में अनमोल विचार उपलबà¥à¤§ हैं। ‘वासांसि जीरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿ यथा विहाय नवानि गृहणाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¿ संयाति नवानि देही।।22।।’, ‘नैनं छिनà¥à¤¦à¤¨à¥à¤¤à¤¿ शसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿ नैनं दहति पावकः। न चैनं कà¥à¤²à¥‡à¤¦à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥‹ न शोषयति मारà¥à¤¤à¤ƒà¥¤à¥¤23।।’, तथा ‘जातसà¥à¤¯ हि धà¥à¤°à¥à¤µà¥‹ मृतà¥à¤¯à¥à¤§à¥à¤°à¥à¤µà¤‚ जनà¥à¤® मृतसà¥à¤¯ च। तसà¥à¤®à¤¾à¤¦à¤ªà¤°à¤¿à¤¹à¤¾à¤°à¥à¤¯à¥‡à¤½à¤°à¥à¤¥à¥‡ न तà¥à¤µà¤‚ शोचितà¥à¤®à¤°à¥à¤¹à¤¸à¤¿à¥¤à¥¤27।।’ इनका अरà¥à¤¥ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जैसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को छोड़कर नये वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण कर लेता है वैसे ही आतà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ शरीर को छोड़कर दूसरे नये शरीर में चली जाती है। शसà¥à¤¤à¥à¤° इस आतà¥à¤®à¤¾ को काट नहीं सकते, अगà¥à¤¨à¤¿ इसको जला नहीं सकती, जल इसको गीला नहीं कर सकता और वायॠइसको सà¥à¤–ा नहीं सकती अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में यह आतà¥à¤®à¤¾ अपरिवरà¥à¤¤à¤¨à¥€à¤¯ रहती है। पैदा हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ अवशà¥à¤¯ होगी और मरे हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® अवशà¥à¤¯ ही होगा। इस जनà¥à¤® व मरण रूपी परिवरà¥à¤¤à¤¨ के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ का निवारण नहीं हो सकता। अतः जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ होने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को हरà¥à¤· व शोक नहीं करना चाहिये। गीता के इन शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ में जो दरà¥à¤¶à¤¨ दिया गया है वह जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ की यथारà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहा है।
जीवातà¥à¤®à¤¾ व इसके जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ विषयक रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानकर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मृतà¥à¤¯à¥ के दà¥à¤ƒà¤– से यथासमà¥à¤à¤µ निवृत होना चाहिये। मृतà¥à¤¯à¥, जो कि सतà¥à¤¯ है, होनी ही है, जिसे कोई टाल व बदल नहीं सकता, उसको यथारà¥à¤¥ रूप में जानकर शोक व दà¥à¤ƒà¤– से मà¥à¤•à¥à¤¤ होना ही किसी विवेकी पà¥à¤°à¥à¤· की सफलता है। हम आशा करते हैं कि पाठक लेख में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ आतà¥à¤®à¤¾ व मृतà¥à¤¯à¥ विषयक विचारों को पढ़कर लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होंगे।
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